हिन्दी साहित्य का आदिकाल
हिन्दी साहित्य का आदिकाल
हिन्दी साहित्य का इतिहास लिखने वाने आने इतिहासकारों ने 10वीं से 14वीं शताब्दी के के बीच रचित रचनाओं और रचनाकारों के सम्पूर्ण हिन्दी साहित्य को हिन्दी साहित्य का आदिकाल कहा है।
हिन्दी साहित्य के आदिकाल की श्रेणी में रखी जाने वाली प्रमुख रचनाएँ –
- पृथ्वीराज रासो – चन्द्रबरदाई
- परमाल रासो – जगनिक
- विद्यापति पदावली – विद्यापति
- कीर्तिलता – विद्यापति
- कीर्तिपताका – विद्यापति
- संदेशरासक – अब्दुलरहमान
- पउमचरिउ – स्वयम्भू
- भगिसत्त्का – धनपाल
- परमात्मप्रकाश – जोइन्दु
- बूद्धगान और दोहा – सं. हरप्रसाद शास्त्री
- स्वयम्भू छंद – स्वयम्भू
- प्राकृत पैंगलम् – लक्ष्मी
- शब्दानुशासन – हेमचन्द्र
- काव्यानुशासन – हेमचन्द्र
- कुमारपालचरित – हेमचन्द्र
- प्रबंध चिंतामणि – जैनाचार्य मेरुतुंग
- ढोलामारूरादूहा – कुशललाभ
आदिकाल की रचनाओं और लेखन विशेषताओं के आधार पर आदिकाल के साहित्य को विद्वानों ने चार खण्डों में विभाजित किया है –
- रासो साहित्य या चारण साहित्य
- सिद्ध साहित्य
- नाथ साहित्य
- जैन साहित्य