यण स्वर संधि
यण स्वर संधि – Yan Svar Sandhi
प्रश्न – यण स्वर संधि किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर – इ या ई के बाद कोई भिन्न स्वर आए तो दोनों मिलकर ‘य्’ हो जाते हैं, उ या ऊ के बाद कोई भिन्न स्वर आए तो दोनों मिलकर ‘व्’ हो जाते हैं और ऋ के बाद कोई भिन्न स्वर आए तो दोनों मिलकर ‘र्’ हो जाते हैं। इस प्रकार बनने वाले शब्दों को यण स्वर संधि कहते हैं।
इ + अ = य्+अ (य)
यदि + अपि = यद्यपि
अति + अधिक = अत्यधिक
इ + आ = य्+आ (या)
इति + आदि = इत्यादि
अति + आवश्यक = अत्यावश्यक
ई + अ = य्+अ (य)
नदी + अर्पण = नद्यर्पण
ई + आ = य्+आ (या)
देवी + आगमन = देव्यागमन
उ + अ = व्+अ (व)
अनु + अय = अन्वय
उ + आ = व्+आ (वा)
सु + आगत = स्वागत
उ + ए = व्+ए (वे)
अनु + एषण = अन्वेषण
ऋ + अ = र्+आ (रा)
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
संधि किस प्रकार घटित होती है, यह समझने के लिए संधि पेज पर जाकर देखें।
कृपया इसके विषय मे भी बतायें के कब य् = ई + अ होता है और कब य् = इ + अ होता है