अंग-अंग मुसकाना
अंग-अंग मुसकाना
अंग-अंग मुसकाना
अर्थ – बहुत प्रसन्न होना
वाक्य में प्रयोग करते समय ‘अंग-अंग मुसकाना’ मुहावरा अनेक रूपों में प्रयोग होगा है।
जैसे – अंग-अंग मुसकाने, अंग-अंग मुस्काना, अंग-अंग मुसका, अंग-अंग मुसकाएगा
अंग-अंग मुसकाना मुहावरे का वाक्यों में प्रयोग –
- क्रिकेट मैच जीतने के बाद मेरा अंग-अंग मुसकाने लगा।
- जब मोहन परीक्षा में प्रथम आया तो उसका अंग-अंग मुसकाने गला।
- जीतने के बाद हर किसी का अंग-अंग मुसकाने लगता है।
- उसे इस बात कि कितनी खुशी है ये तो उसे देखते ही बनता था, उसका अंग-अंग मुसका रहा था।
- तुम देखते जाओ इस जीत के बाद तुम्हारा अंग-अंग मुसकाएगा।
- अरे वह तुम्हें बहकाने के लिए झूठ बोल रहा है उसे तो इस काम की बहुत खुशी हुई है। तुमने देखा नहीं कैसे उसका अंग-अंग मुसका रहा था।
- जरूरी नहीं है कि हर जीत के बाद अंग-अंग मुस्काने लगे। यह जीत शायद उसके लिए कुछ अधिक महत्त्व नहीं रखती। जब बड़ी जीत होगी तो देखना उसका अंग-अंग कैसे मुसकाता है।
अंग-अंग मुसकाना
अंडे होंगे तो बच्चे बहुत होंगे
अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे
अंधे को अँधेरे में बड़ी दूर की सूझी
अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है
अपने पैरों पर आप कुल्हाड़ी मारना
अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत
अभी तो तुम्हारे दूध के दांत भी नहीं टूटे
आम खाने से काम या पेड़ गिनने से काम
इस कान से सुनना उस कान से निकाल देना
उखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर
एक म्यान में दो तलवारें नहीं रहती
कमान से निकला तीर और मुंह से निकली बात वापस नहीं आती
काठ की हाँडी आँच पर बार बार नहीं चढ़ती
काम का ना काज का दुश्मन अनाज का
कुत्ते की दुम बारह वर्ष नली में रखी तब भी टेड़ी की टेड़ी
कुत्ते को देशी घी हजम नहीं होता
कुम्हार अपने घड़े को कच्चा नहीं कहता
खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है