अक्ल का दुश्मन
अक्ल का दुश्मन
अक्ल का दुश्मन
अर्थ – मूर्ख
वाक्य में प्रयोग करते समय ‘अक्ल का दुश्मन’ मुहावरा अनेक रूपों में प्रयोग होगा है।
जैसे – अक्ल का दुश्मन, अक्ल के दुश्मन, अक्ल के दुश्मनों
अक्ल का दुश्मन मुहावरे का वाक्यों में प्रयोग –
- तुम उसे कितना भी समझाओ, वह समझने वाला नहीं वह अक्ल का दुश्मन जो है।
- इस तरह के काम करना अक्ल के दुश्मनों की निशानी है।
- तुम तो अक्ल के दुश्मन हो।
- उन अक्ल के दुश्मनों को कौन समझाए।
अंडे होंगे तो बच्चे बहुत होंगे
अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे
अंधे को अँधेरे में बड़ी दूर की सूझी
अक्ल का दुश्मन
अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है
अपने पैरों पर आप कुल्हाड़ी मारना
अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत
अभी तो तुम्हारे दूध के दांत भी नहीं टूटे
आम खाने से काम या पेड़ गिनने से काम
इस कान से सुनना उस कान से निकाल देना
उखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर
एक म्यान में दो तलवारें नहीं रहती
कमान से निकला तीर और मुंह से निकली बात वापस नहीं आती
काठ की हाँडी आँच पर बार बार नहीं चढ़ती
काम का ना काज का दुश्मन अनाज का
कुत्ते की दुम बारह वर्ष नली में रखी तब भी टेड़ी की टेड़ी
कुत्ते को देशी घी हजम नहीं होता
कुम्हार अपने घड़े को कच्चा नहीं कहता
खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है