अक्ल के घोड़े दौड़ाना
अक्ल के घोड़े दौड़ाना
अक्ल के घोड़े दौड़ाना
अर्थ – तरह-तरह के विचार करना
वाक्य में प्रयोग करते समय ‘अक्ल के घोड़े दौड़ाना’ मुहावरा अनेक रूपों में प्रयोग होगा है।
जैसे – अक्ल के घोड़े दौड़ाना, अक्ल के घोड़े दौड़ाए, अक्ल के घोड़े दौड़ाओ, अक्ल के घोड़े दौड़ाने पड़े, अक्ल के घोड़े दौड़ाने पड़ेंगे
अक्ल के घोड़े दौड़ाना मुहावरे का वाक्यों में प्रयोग –
- इस काम को करने के लिए मुझे अक्ल के घोड़े दौड़ाने पड़े।
- तुम इस पहेली को हल कर सकते हो, जरा अपनी अक्ल के घोड़े तो दौड़ाओ।
- यह काम इतना आसान नहीं है तुमें अपनी अक्ल के घोड़े दौड़ाने पड़ेंगे।
अंडे होंगे तो बच्चे बहुत होंगे
अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे
अंधे को अँधेरे में बड़ी दूर की सूझी
अक्ल के घोड़े दौड़ाना
अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है
अपने पैरों पर आप कुल्हाड़ी मारना
अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत
अभी तो तुम्हारे दूध के दांत भी नहीं टूटे
आम खाने से काम या पेड़ गिनने से काम
इस कान से सुनना उस कान से निकाल देना
उखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर
एक म्यान में दो तलवारें नहीं रहती
कमान से निकला तीर और मुंह से निकली बात वापस नहीं आती
काठ की हाँडी आँच पर बार बार नहीं चढ़ती
काम का ना काज का दुश्मन अनाज का
कुत्ते की दुम बारह वर्ष नली में रखी तब भी टेड़ी की टेड़ी
कुत्ते को देशी घी हजम नहीं होता
कुम्हार अपने घड़े को कच्चा नहीं कहता
खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है