अक्ल चकराना
अक्ल चकराना
अक्ल चकराना
अर्थ – कुछ समझ में न आना
वाक्य में प्रयोग करते समय ‘अक्ल चकराना’ मुहावरा अनेक रूपों में प्रयोग होगा है।
जैसे – अक्ल चकराना, अक्ल चकरा गई, अक्ल मत चकराओ
अक्ल का दुश्मन मुहावरे का वाक्यों में प्रयोग –
- इतने कठिन प्रश्नों को देखकर मेरी तो अक्ल ही चकरा गई।
- बेकार की बातें करके मेरी अक्ल मत चकराओ।
- इस पहेली को हल करने में बड़े-बड़ों की अक्ल चकरा जाएगी।
- बस अब और बहस नहीं मेरी तो अक्ल ही चकरा गई।
अंडे होंगे तो बच्चे बहुत होंगे
अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे
अंधे को अँधेरे में बड़ी दूर की सूझी
अक्ल चकराना
अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है
अपने पैरों पर आप कुल्हाड़ी मारना
अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत
अभी तो तुम्हारे दूध के दांत भी नहीं टूटे
आम खाने से काम या पेड़ गिनने से काम
इस कान से सुनना उस कान से निकाल देना
उखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर
एक म्यान में दो तलवारें नहीं रहती
कमान से निकला तीर और मुंह से निकली बात वापस नहीं आती
काठ की हाँडी आँच पर बार बार नहीं चढ़ती
काम का ना काज का दुश्मन अनाज का
कुत्ते की दुम बारह वर्ष नली में रखी तब भी टेड़ी की टेड़ी
कुत्ते को देशी घी हजम नहीं होता
कुम्हार अपने घड़े को कच्चा नहीं कहता
खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है