अधजल गगरी छलकत जाय
अधजल गगरी छलकत जाय का अर्थ – ओछा दिखावा करना, किसी मनुष्य का आय से अधिक दिखावा करना, किसी को दिखाने के लिए बढ़ा-चढ़ा कर दिखावा करना, कम गुणों वाले व्यक्ति का अधिक दिखावा करना।
अधजल गगरी छलकत जाय का वाक्य में प्रयोग – सब जानते हैं कि राकेश की आर्थिक हालात अच्छे नहीं हैं फिर भी वह ऐसे दिखावा करता हैं जैसे वह कोई करोड़पति हो। सब उसे देखकर यही कहते हैं अधजल गगरी छलकत जा।
अंडे होंगे तो बच्चे बहुत होंगे
अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे
अंधे को अँधेरे में बड़ी दूर की सूझी
अधजल गगरी छलकत जाय
अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है
अपने पैरों पर आप कुल्हाड़ी मारना
अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत
अभी तो तुम्हारे दूध के दांत भी नहीं टूटे
आम खाने से काम या पेड़ गिनने से काम
इस कान से सुनना उस कान से निकाल देना
उखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर
एक म्यान में दो तलवारें नहीं रहती
कमान से निकला तीर और मुंह से निकली बात वापस नहीं आती
काठ की हाँडी आँच पर बार बार नहीं चढ़ती
काम का ना काज का दुश्मन अनाज का
कुत्ते की दुम बारह वर्ष नली में रखी तब भी टेड़ी की टेड़ी
कुत्ते को देशी घी हजम नहीं होता
कुम्हार अपने घड़े को कच्चा नहीं कहता
खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है